बुधवार, 11 अप्रैल 2012

अब बिना खेती ही सोना उगलेगी खाली पड़ी जमीन

अगर आपके पास खेती लायक जमीन है, लेकिन आपको लगता है कि जुताई 
और बुआई का झंझट पालना आपके बस की बात नहीं है, तो जल्दी ही आपको एक ऐसा विकल्प मिल सकता है जिससे आप उसे सरकारी लैंड बैंक में जमा कर सकेंगे और उससे आपको नियमित आमदनी होती रहेगी। 

बैंक खाते की तर्ज पर बनाया जाने वाला यह लैंड बैंक जमीन की होल्डिंग की अवधि और उसके आकार के आधार पर भुगतान का ऑफर करेगा और अगर जमीन लीज पर दी जाती है, तो वह अतिरिक्त फायदे देगा। योजना आयोग के एक अधिकारी ने ईटी को बताया, 'बहुत सी जमीन सिर्फ इसलिए परती रहती है, क्योंकि उसका मालिक टाइटल की गारंटी न होने के कारण उसे लीज पर नहीं देना चाहता। सरकार की ओर से लॉन्च होने वाला लैंड बैंक ऐसे लोगों की मदद करेगा, जो अपनी जमीन बेचना भी नहीं चाहते और खुद खेती भी नहीं कर सकते।' 

अधिकारी ने यह भी कहा कि बैंक के कारण खेती लायक जमीन को अन्य प्रोजेक्ट के लिए बेचने के बढ़ते रुझान को रोकने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि आयोग इंस्टीट्यूट ऑफ इकनॉमिक ग्रोथ की डायरेक्टर बीना अग्रवाल की अगुवाई वाले वर्किंग ग्रुप के इस प्रस्ताव पर गहन विचार कर रहा है। प्रस्ताव में लैंड बैंक पंचायत या ग्राम सभा स्तर पर बनाने की बात कही गई है। 

सिफारिश के मुताबिक इस काम में आरंभिक पूंजी (सीड कैपिटल) केंद्र और राज्य सरकारें 80:20 के अनुपात लगाएंगी। आरंभिक पूंजी की मात्रा को लेकर अंतिम फैसला होना अभी बाकी है। ग्रुप ने बैंक को सोसायटी के तौर पर रजिस्टर करने की भी सलाह दी है। लैंड डिपॉजिट की अवधि एक सीजन जितनी छोटी या तीन साल से ज्यादा तक हो सकती है। इसमें जमीन मालिक को मॉनिटरी फायदे के अलावा यह सुविधा भी होगी कि वह जब चाहे जमीन वापस ले ले। 

लैंड बैंक में किसी गांव में जमा की गई सभी जमीन को कंसॉलिडेट किया जाएगा और उसमें छोटे एवं हाशिए पर पड़े किसानों को वरीयता दी जाएगी। बैंक जमीन को किसानों के छोटे समूहों को लीज पर भी दे सकेगा। जिस किसान की जमीन लीज पर दी जाएगी, उसे गारंटीड किराया मिलेगा। किराए का निर्धारण जमीन की गुणवत्ता और कंसॉलिडेटेड प्लॉट के आधार पर होगा।

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